Hindi story. Hindi kahaniya. झुपड़ीं और महेल। Bacchon ki kahani. Hindi kahani.
राजा के आज्ञा के बाद मंत्री ने घोड़े पर बैठ कर अपना काम सुरु कर दिया। और चार ऐसी जगह खीज निकली जो महेल बनाने के लिए योग्य हो। मंत्री अपना काम पूरा कर के महेल में पेश हए। मंत्री ने राजा विक्रमादित्य को कहा महाराज मेने ऐसी चार जगह खोज लिया है, जहाँ आप जैसा महेल चाहते हो वैसा महेल बनेगा। राजा ने आपने रथ पे मंत्री के साथ उस चार जगह को देखने के लिए निकल पड़े। राजा की अलग अलग तीन जगह दिखाया पर वो पसंद नहीं आया। राजा ने मंत्री से कहा मुझे यह तीन जगह पसंद नहीं आया। मुझे कोई नदी के पास वाली जगह बताओ जहाँ शांति और कुदरती सौंदर्य हो। मंत्री ने कहा महाराज हम जो चौथी जगह देखने जा रहे है वो बिलकुल वैसी ही है।
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राजा और मंत्री चौथी जगह पहोंच गए, जो राजा के मुताबिक कुदरती सौंदर्य से भरपूर जगह थी। राजा को वह जगह पसंद आया और उस जगह पर महेल बनाने का निर्णय लिया। इतने में ही उसकी नजर एक झुपड़ी पर गई। राजा ने कहा यह झुपड़ीं किसकी है? ओर यह इधर क्यों है? मंत्री ने कहा उसमे एक बूढ़ी औरत रहती है। पर महाराज आप चिन्ता ना करे। में अभी उस बूढ़ी के पास जाकर उस झुपड़ीं को खरीद लेता हूं। मंत्री उस बूढ़ी के पास गया और उस से कहा हमारे महाराज को यह जगह पसंद आई है। और हम इधर महेल बनाना चाहते है, इस लिए में आपसे यह झुपड़ीं खरीदना चाहता हूँ। क्योंकि महेल के सामने यह छोटी झुपड़ीं सोभा नहीं देगी।
झुपड़ीं के बदले में जो आपको चाहिए वो मिलेगा। बूढ़ी ने कहा नहीं, में यह झुपड़ीं नहीं बेचना चाहती। मेने इस झुपड़ीं मे मेरे पति के साथ बहोत साल विताये है। और में यही मरना चाहती हूं। इस लिए में इसे नही बेचूंग, और इसके लिए में कुछ भी करने के लिए तैयार हूं। बूढ़ी की बात सुनकर मंत्री ने राजा से कहा की वो बूढ़ी मान नहीं रही। अब हमें वो झुपड़ीं तोडनी ही होगी। पर विक्रमादित्य ने कहा कि महेल के सामने झुपड़ीं हो उस से मुझे कोई दिक्कत नहीं। यह झुपड़ीं मेरी महेल का सोभा बढ़ाएगा। पर जो झुपड़ीं हमे खराब लगती हो, वो दुसरो के लिए सोने से कीमती लगती है। इस लिए झुपड़ीं को रहने दो। मुझे उस मां जी का नुकसान कर के महेल नहीं बनाना। मेरा महेल झुपड़ीं के साथ बनेगा।