सच्ची देशभक्ति। Sachhi Deshbhakti. Hindi kahani.
चीनू की मां ने उसे हर तरह से समझाने की कोशिश की । चीनू हर बार मां से वायदा करता कि आगे से वो ऐसी कोई भी शैतानी नहीं करेगा , पर चीनू तो चीनू ही था । आज सुबह से मां किचन में लगी थी , तभी - अरे वाह मां ! ढोकला बना रही हो । कितना प्यारा रंग है । आज कुछ है क्या ... ? प्लेट में तीन रंग के ढोकले रखे थे केसरिया , सफेद और हरा ... मां ने चीनू की तरफ प्यार से देखा और बोलीं चीनू ! इस ढोकले को देखकर तुमको किसकी याद आती है , जल्दी से बताओ।
चीनू सोचने लगा , ये रंग कहीं तो देखा है , वो खुशी से उछल पड़ा और बोला - मां ! ये तो हमारे देश के झंडे का रंग है और यह हमारे स्कूल की छत पर लगा रहता है । बहुत बढ़िया , मां ने चीनू के गाल को प्यार से थपथपाया और ढोकले का एक टुकड़ा उसके मुंह में डाल दिया । आज 15 अगस्त है यानी स्वतंत्रता दिवस । आज के दिन हमारे देश को आजादी मिली थी , इसी खुशी में चीनू के पसन्द के ढोकले बने हैं । जानते हो चीनू यह हमारा राष्ट्रीय त्योहार भी है।
चीनू आश्चर्य से मां की बातें सुन रहा था। चीनू ! जरा टी.वी. तो चालू करो , आज परेड आ रही होगी। चीनू बन्दर की तरह झट से उछलकर टीवी के पास पहुंच गया, एक जैसे यूनिफॉर्म में सैनिक कदमताल करते हुए प्रधानमंत्री को सलामी दे रहे थे। प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया, तभी आसमान से हेलीकॉप्टर से जनता पर फूलों की वर्षा की गई । हवाई जहाज तीन रंग का धुआं ( केसरिया , सफेद और हरा ) उड़ाते हुए आसमान में गुम हो गए। कितना रोमांचकारी था ये सब ... मां मां ! वो आगे वाले सैनिक को देखो , उसके सीने पर कितने सारे मेडल हैं।
चीनू ! जिस तरह से तुम अपने स्कूल में जब कोई अच्छा काम करते हो तो तुम्हें सर्टिफिकेट और अवॉर्ड दिया जाता है न ... ठीक इसी तरह से इनको भी उनकी वीरता और देश की रक्षा करने के लिए सम्मानित किया जाता है । आज इन्हीं लोगों की वजह से हम सुरक्षित हैं और अपने घरों में चैन से सो पाते हैं । मां की बात सुनकर चीनू उत्साह से भर गया । ' मां ! मैं भी बड़ा होकर सेना में भर्ती होऊंगा और देश की सेवा करूंगा।
चीनू एक सिपाही की तरह मां की आंखों के सामने खड़ा हो गया , अपने नन्हे से बेटे के मां मुस्कुरा पड़ी । बेटा ! सरहद पर जाकर युद्ध लड़ना ही देश सेवा नहीं है , ऐसे बहुत से काम हैं , जो हम खुद करके या दूसरों को प्रेरित करके भी करें तो वो भी सच्ची देशभक्ति कहलाएगी । चीनू आश्चर्य से मां को देख रहा था , उसकी छोटी - छोटी आंखों में ढेरों सवाल तैर रहे थे । वो कैसे मां , मुझे बताओ , मुझे भी अपने देश की सेवा करनी है । मैं भी सच्चा देशभक्त कहलाना चाहता हूं ।
मां ने चीनू को अपनी गोदी में बिठा लिया और बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा , चीनू ! जरूरी नहीं कि हर कोई सिपाही बनकर , हाथ में बन्दूक लेकर दुश्मनों से लड़े । हम लोगों को सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं । अपने घरों के कूड़े को इधर - उधर न फेंककर उन्हें निश्चित जगह पर रखे कूड़ेदान में डालकर भी अपना कर्तव्य निभा सकते हैं । ब्रश करते , नहाते , बर्तन धोते वक्त अनावश्यक जल को बर्बाद होने से रोकना भी देश सेवा है।
पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों को प्लास्टिक के थैलों को छोड़कर जूट , कपड़े और कागज के बने थैलों का प्रयोग करने के लिए जागरूक करना और लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना भी देश सेवा है । मां ! ये सब तो बहुत आसान है , मैं चुटकियों में ये कर सकता हूं । चीनू खुशी से झूम उठा .... आज मानो उसे जीने का मकसद मिल गया था । सच्ची देशभक्ति क्या होती है , वो आज अच्छी तरह समझगया था।