Hathi ki kahani. एक हाथी की कहानी। Best story. Elephant. Bacchon ki kahani. Elephant.
वसंतपुर गांव के नजिक एक जंगल था। जँगल में अलग अलग प्रकार के पशु और पक्षी रहते थे। उस जंगल मे एक हाथी का झुंड आता जाता रहता था। इस बार जब हाथी का झुंड आया तो उसमें एक छोटा हाथी था जो बहोत तूफानी था। वो जंगल अकेला भटकने निकल पड़ता था। एक दिन वो घूमते घूमते एक आम के पेड़ के नीचे पहोंचा। आम के पेड़ से आम की खुशबू आ रही थी। उसने अपनी सूंढ़ से आम तोड़ने के लिए सूंढ़ ऊंचा किया, तभी उस पेड़ पर अपने घोसले में बच्चों के साथ बैठी चिड़िया ने कहा ! ओ हाथी भाई रुको रुको आपकी दिखता नहीं कि मेरे बच्चे सो रहे है, आपकी आवाज से वो उठ जाएगी। तब हाथी ने कहा मुझे माफ़ कर देना। मेरी नजर आपके ऊपर गई ही नही। तो वो हाथी वहां से निकल गया।
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चलते चलते वो थोड़ा आगे गया तो उसे दो आम के पेड़ दिखा। उसके ऊपर भी आम लटक रहे थे। वो हाथी वो आम खाने के लिए आगे बढ़ा तो जिराफ ने उसे रोक कर कहा। ओ हाथी भाई थोड़ा धीरे चलो क्या पागल की तरह दौड़ते आ रहे है। हाथी ने कहा ' पर मुझे तो आम खाना.... ! बात को बीच मे काट कर जिराफ ने कहा क्या आम आम करते चले आये हो यहां, भागो यहाँ से। हाथी sorry sorry कर के वहा से भाग गया।
आगे जाते जाते उसे चार पांच आम के पेड़ दिखाई दिए। वो वहां जाने लगा अचानक उसे जोर से आवाज आने लगी। मार डाला रे , मार डाला ! अरे ओ हाथी भाई जरा नीचे तो देखो। उसने देखा तो उसके पैर के नीचे एक मेंढक बैठा हुआ था। हाथी ने कहा में तो सिर्फ उस पेड़ से आम खाने जा रहा था। मेंढ़क ने कहा हा, तो क्या ! आगे जा यहां मत तोड़। भाग यहां से। हाथी वहां से भाग जाता है। वो आसपास देखने लगा अचानक एक बंदर उसके सामने आया। हाथी ने कहा अब क्या तुम्हारा भी कुछ नुकसान हो गया। बंदर ने कहा। नहीं भाई।
बंदर ने कहा आप क्यों निराश हो। हाथी ने कहा मुझे जोर से भूख लगी है। आम जे पेड़ पर स्वादिष्ट आम लटक रहे है। पर में जब भी आम खाने के लिए पेड़ के पास जाता हूं तो किसिना किसी को कोई प्रॉब्लम हो जाता है। हाथी ने अपनी सारी बात उस बंदर को बताई। बंदर ने हाथी से कहा आप हाथी हो आपको किसी के बात पर चलने की जरूरत नहीं। आपको आम खाना है तो वो बंदर आपको क्या बोलेगा। बोग तो बोलते रहते है। सबकी बात सुनना नहीं होता। आप चलो मेरे साथ उस मेंढक के पास।
बंदर और हाथी उस मेंढक के पास गए। मेंढ़क ने कहा, हाथी भाई तुम फिर आ गए। हाथी ने ऊंचे आवाज में मेंढ़क से कहा, अरे ओ मेंढ़क भाग यहां से में जब आम खा लू तब आना। मेंढ़क डर के मारे वहां से कूदते हुए भाग गया। बंदर ने कहा अब उस जिराफ के पास। दोनों जिराफ के पास गए। जिराफ ने कहा तू फिर से आ गया। हाथीने सूंढ़ ऊँचा कर के जोर से कहा ओ जिराफ भाग यहाँ से जब में आम खा लु तब आना। जिराफ ने कहा ठीक है हाथी भाई गुस्सा क्यों हो रहे है। जिराफ साइड में खड़ा हो गया।
बंदर ने कहा चलो अब उस चिड़िया के पास। हाथी ने कहा नहीं चिड़िया के पास नही। उसके छोटे छोटे बच्चे है। अगर हमारी वजह से उन्हें कुछ हो जाये तो। नहीं जाने दो। वैसे भी मेरा पेट अब भर गया है। हाथी ने बंदर को धन्यवाद किया और दोनों वहां से अपने अपने रास्ते चले गए।
इस कहानी से हमे एक सिख मिलती है। अगर सामने वाले कि बात सही या अच्छी हो तो ठीक वरना किसी की बात नहीं सुनना चाहिए।