पानी को कैसे बचाया जा सकता है। Save water.
पानी का उपयोग घी के जैसा करो, वरना आने वाले समय मे पानी के बिना मरना पड़ेगा। पानी के लिये युद्ध होगा ऐसा साइंटिस्ट और पर्यवरण शास्त्रियों ने कहा है। जल ही जीवन है। पानी को बिगाड़ने में स्त्री का हाथ सबसे पहले आता है। आज पानी हमे आराम से मिलती है इस लिए उसकी कोई वेल्यू नहीं है। पर कच्छ, राजस्थान या दुनिया के रेगिस्तान वाले इलाके जहा पानी को प्राप्त करने के लिए पैसे कमाने जितनी महेनत करनी पड़ती है। हमें विश्वास नहीं होगा कि, दुनिया मे 200 मिलीयन लोग घन्टो तक महिलाएं अपने परिवार के लिए पानी लाने में बिगाड़ति है। ओर 780 मिलीयन लोगो के पास पानी के लिए पूरा सोर्स नहीं है। और भारत मे सिर्फ और सिर्फ लीकेज स्व 50 % पानी बिगड़ता है।
6800 गेलन पानी एक दिन में भोजन बनाने में उपयोग होता है। और टॉयलेट में लाखों गेलन पानी उपयोग होता है। आलस और बिन जबावदारी के कारण महिलाएं भी बहोत ज्यादा प्रमाण में पानी का बिगाड़ करते है। एक दिन पावरकट या किसी अन्य कारण से अगर पानी ना आये तो लोग कितना हैरान हो जाते है। सोचो जब पानी के लिए युद्ध लड़े जाएंगे और पानी को घी के भाव बिकेंगे रब हमारी हालत क्या होगी ? ज्यादातर महिलाएं ऐसा सोचती है कि, हम थोड़ा पानी बचायेंगे उस से क्या फर्क पड़ेगा, पर देश के भाइयों और बहनों बून्द बून्द से सागर बनाता है यह कहावत ऐसे ही नहीं रखा गया। दूसरे क्या कर रहे है उसकी चिंता किये बिना हम क्या करेंगे यह सोचकर उसका अमल करें, तो पानी तो क्या हमारे जीवन की आधी समस्या खत्म हो जाये। बस जरूर है हमारे शरीर के अंदर की इंसानियत को जगाने की।
हर कार्य की शुरुआत घर परिवार से होती है। और उसके बाद वो कार्य समाज का हिस्सा बनती है। तो, पानी बचाने की सुरुरात हमे ही करनी होगी। अगर हमारे घर में एक भी नल लीकेज से तो दिन में 100 गेलन पानी की बर्बादी पक्की है। जरा अंतरआत्मा से पूछो की ऐसे कितने पानी की बर्बादी करते है। प्लम्बर को बुलाकर नल रिपेरिंग करने में पूरा दिन निकाल देते हैं। महिलाएं धर्म-कर्म पाप-पुण्य बहोत विश्वास रखते है। और विज्ञान और धर्म दोनी कहते है, की एक पानी के बून्द में असंख्य जीव है। क्या हम पानी को बिगाड़ के पाप का भोग बन रहे है। वैसे तो पानी राष्ट्रीय सम्पत्ति है, औऱ उसका बिगाड़ एक अपराध ही है ना! क्या इसके लिए हमे सजा नहीं मिलनी चाहिए ?
Save water
नल लीकेज के बाद टॉइलेट में सबसे ज्यादा पानी का उपयोग होता है। और दूसरी बात ब्रश करते वक्त नल चालू रखना। उसमे कितना पानी बेकार में चला जाता है। परिवार में बेकार में पानी ना बिगाड़े इस लिए घर मे किसी को कड़क होना चाहिए, और यह हमारा फर्ज है। आज लोग नहाने के लिए ज्यादा पानी का उपयोग करते है। कुछ लोग तो इस लिए शावर के नीचे बैठते है ताकि असकी समस्या पानी के साथ बह जाए। एक बार कब शावर में पांच से दस गेलन पानी जाता है। क्या हम बाल्टी में पानी भर के नहा नहीं सकते ? आज बहोत ही कम महिलाएं खुद कपड़ा और बर्तन धोती है। और बाई के राज में पानी की टंकी खाली ना हों जाए तब तक बहती रहती है। और इन बाई को पानी बन्द करने के लिए कहो तो उस मे भी नोटँगी करती है।
समझदार स्त्री वही है जो बाई को प्रेम से समझाए। मेने ऐसी स्त्री भी देखी है जो कपड़ा बर्तन धोने वाली बाई को कहते है कि चालू नल से धोने के बदले टब में पानी भर के धोएंगे तो सो रुपिया ज्यादा दूंगी। पानी की ऐसी चिंता करने वालो को मेरा सलाम। पहले ऐसे ही कपडे-बर्तन साफ करते थे। किचन में खड़े खड़े बर्तन धोने में कितने सारे पानी की बर्बादी हो जाती है उन्हें तो पता ही नहीं। पानी को स्वच्छ करने वाले आरओ या एकवागार्ड जैसे मशीन से अस्वच्छ पानी बहोत ही ज्यादा प्रमाण में निकलते है, औऱ उसका री-यूज़ हो सकता है। पर 10 % महिला भी उसका संग्रह कर के उसका री-यूज़ नहीं करती। समझदार महिला उसका संग्रह कर के उस से बर्तन धोती है या गार्डन में छांट देती है। बाकी के 90% महिलाओं के लिए यह वेस्ट पानी किसी काम की नहीं।
आज हर घर मे प्लांट या गार्डन है। लोग गलत समय पर पानी छांट के पानी बिगाड़ते है। गार्डन में सुबह 10 बजे या शाम 6 बजे पानी डालो तो उसका परिणाम अच्छा आता है, ओर पानी भी कम यूज़ होगा। पानी बचाने के लिए गार्डन में ऐसे प्लांट को रखो जिसे पानी की कम जरूरत हो। कितने पानी की पाइप चालू कर के बन्द करना भूल जाते है। सभी लोग सब्जी या फलों को धोने के लिए बहोत पानी का उपयोग करते है। सभी का मानना है कि ज्यादा धोने से और ज्यादा पानी से अच्छा साफ होता है। अगर महिला समझदार बन जाये तो बहोत सारा पानी का बचाव हों सकता है। क्योंकि पुरुष से ज्यादा स्त्रीया पानी का उपयोग ज्यादा करते है।