एक बनिये की कहानी आपको सुनाती हूँ। गाँव मे उनका बहोत नाम था। बहोत चतुर थे। और हर कोई जानता था कि पैसे का हिसाब किताब या नफा नुकशान का हिसाब किताब इस बनिये से बेहतर और कोई नहीं जानता। राजाजी कई बार नफा नुकसान से जुड़े सलाह के लिए बनिये को अपने यहाँ बुलाते थे। हमेशा की तरह राजा ने बनिये को अपने दरबार मे बुलाया। और बहोत सारे लोगो के बीच सभा मे नफे नुकसान से जुड़ा एक बहोत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उसके साथ चर्चा किया। बिलकुल हमेशा की तरह उनको बनिये की तरफ से एक सटीक जवाब एक सटीक सलाह मिली। राजा को सलाह मिलने के बाद राजा उस बनिये को थोड़ी देर देखते रहे। बनिये ने कहा महाराज क्या हो गया ऐसे क्यों देख रहे है मुझे। में सोच रहा हु की तुम इतने समझदार हो तुमसे कभी चूक नहीं होती फिर तुम्हारा बेटा इतना ना समझ कैसे। उसे कुछ क्यों नही सिखाते। बनिये को थोड़ा हैरान करने वाला शब्द था और थोड़ा बेज्जती का भी अहसास हुआ की इतने सारे लोगो के बीच ये मेरे बेटे के बारेमे ऐसा क्यों कह रहे है। बोले, महाराज क्या गलती हो गई मेरे बेटे से। राजा बोले तुम्हारे जैसा समझदार व्यक्ति का बेटा होने के बाद भी उसे तो यह भी नहीं पता कि सोने और चांदी में सबसे कीमती क्या होता है। बनिये ने अपना सर झुका लिया। रास्तेभर सोचता रहा कि मेरे बेटे ने क्या किया ऐसा की मेरी नाक कट गई। इतने सालों से इज्जत बनाई हर कोई लोग मुझे समझदार कहता था। और उन्ही सारे लोगो के बीच मेरे बेटे के कारण मेरी नाक कट गई।
घर गया। बड़े गुस्से में बेटे को बुलाया। और बोला बेटा आज राजाजी ने मुझे कहा कि तुम्हारा बेटा नासमझ है। तो बेटे ने कहा क्यों मेने क्या किया। पहले तू मुझे ये बात की सोना ज्यादा कीमती होता है या चांदी। बेटे ने फट से कह दिया सोना। उसे एक क्षण भी नही लगा जवाब देने में। तो तुझे ये पता है तो राजा ऐसा क्यों कह रहा था कि सोना ज्यादा कीमती है चांदी। बेटा मुस्कुराया ओर कहा पिताजी में सब कुछ समझ गया। उन्होंने बताया कि राजा रोज सुबह एक सभा लगाते है। और उसी सभा के सामने से गुजरना होता है स्कूल के लिए। राजाजी मुझे बुलाते है। एक हाथ मे चांदी का सिक्का लेते है और एक हाथ मे सोने का सिक्का लेते है। और मुझे बोलते है इन मे से कोई एक सिक्का ले ले। और में चांदी का सिक्का उठा लेता हूं। और फिर सब लोग मुझपर बहोत हस्ते है और कहते है जिसने कीमती सिक्का छोड़ के सस्ता सिक्का उठा लिया। फिर बनिये ने कहा जब तू जानता है कि बो सस्ता है तो वो सिक्का तू क्यों उठाता है। बेटे ने कहा आप मेरे साथ अंदर चलिए। बेटा उन्हें अपने कमरे में लेकर गया जहाँ अलमारी चांदी के सिक्कों से भर चुकी थी। बेटे ने कहा पिता जी जिस दिन में सोने का सिक्का उठा लूंगा उनका मजा खत्म हो जाएगा। और ये खेल खत्म हो जाएगा। वो मुझे पल भर के लिए मुझे समझदार समझेंगे और वो मौका भी मेरे लिए सुनहरा होगा। लेकिन मुझे रोज वो मौका नहीं मिलेगा।
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है कि दुनिया हमारे बारेमे क्या सोचती है उन पर ध्यान मत दीजिये। हमारा मन क्या कहता है उन पर ध्यान दीजिए।
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