ये कहानी है राकेश की। राकेश 9th क्लास में पढ़ता था। और उसकी मां दीवाली से एक दिन पहले बहोत गुस्से में था। सभी के घर मे सबकुछ था इतनी खुशियां इतनी रोशनी। और मां के पास दीवाली मनाने के लिए सिर्फ 50 रुपये थे। राकेश को पता नही चल रहा था कि अपनी परेशान माँ की मदद कैसे करे। वो बेचैन था कि उतने में ही उनकी पड़ोसी घर के दरवाजे पर आ रुके। बिल्कुल एक फ़रिश्ते की तरह उन्होंने कहा कि राकेश एक बन्दे की जरूरत है। वो जो पास में गैराज है। दो दिन का काम है और ₹ 500 मिलेंगे। ये सुनते ही अपनी साइकिल पर गैराज पहुंचा।
उसने सोचा कि दो दीन का काम है ₹ 500 मिलने वाले है इसे में एक ही दिन में खत्म कर लूंगा। ना उसने नास्ता किया ना खाना खाया। लेकिन रात के 8:30 बजे लगातार काम करने के बाद वहां का जो इंचार्ज था उसने कहा कि बस ! काम खत्म होता है कल आ जाना। राकेश का दिल टूट गया। उसने कहा कि ये ₹ 500 के लिए कल तक रुकना पड़ेगा वो मां को नहीं दे पाएगा। उतने में इंचार्ज ने बुलाया और कहा कि ये लो 500 रुपये कल टाइम से आ जाना। राकेश ने 100 रुपये की बाजार से घर सजाने के लिये सामान खरीदा। ओर बाकी के 400 रुपये अपनी मां को दिया। ये देख कर मां के आँखों मे आँसू आ गए। राकेश को गले से लगा लिया। राकेश के लिए वो सबसे बड़ी भेट है अपने जीवन की। रात भर जाग के राकेश ने घर को सजाया। कलर जो पड़े हुए थे पिछले साल के उस से रंगोली भी बनाई। सुबह जल्दी भी उठना था लेकिन राकेश बिल्कुल थका नहीं था। सुबह उठा और देखा तो माँ पूजा कर रही थी। राकेश को अपने आप पर फक्र हो रहा था। एक दीवाली ऐसी जो शक्कर तक के पैसे नहीं थे। श्रेष्ठ दीवाली मनी।
कहा जाता है कि अवसर हमारे दरवाजे पर आए तो उसे झट से स्वीकार कर लेना चाहिए।
आपको और आपके परिवार को PK GROUP की तरफ से Diwali की ढेर सारी शुभकामनाएं।
HAPPY DIWALI. ❤️
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