यह कहानी है एक अमीर सेठ की। बहुत सारा पैसा था बहुत सारे बिजनेस चल रहे थे। बहुत सारे फैक्ट्री के मालिक थे। कहीं कोई कमी नहीं सभी जगह से संपन्न न थे। एक दिन वह अपने फैक्ट्री से घर लौट रहे थे। बहुत बड़ा बंगला आलीशान बंगला अंदर पहुंचा तो देखा घर वाले जो थे पूजा पाठ कर रहे थे। भगवान की आरती चल रही थी। सेठ को थोड़ा भगवान से डिस्टेंस बनाने में अच्छा लगता था वह थोड़ा नास्तिक टाइप किए थे। दूर रहते थे। वह चुपचाप अपने कमरे में चले गए और हिसाब किताब करने लगे। नौकर को बुलाया और कहा एक कप कॉफी लेकर आओ। नौकर गया कॉफी तैयार करने के लिए। अचानक से सेठ जी को दर्द होने लगा सीने में। बेचैनी महसूस होने लगी वापस नौकर को बुलाया और कहा फटाफट डॉक्टर को बुलाओ। उस सिटी के सबसे टॉप डॉक्टर थे वह आए और उसकी जांच की रिपोर्ट्स आई और पता चला कि सेठ जी हर तरीके से ठीक थे। सेठ जी ने कहा मुझे अभी बेचैनी हो रही है। मेरे लिए दवाइयां लिखिए। डॉक्टर ने कहा आप ठीक है। सेठ जी अंदर ही अंदर बेचैनी महसूस कर रहे थे इसलिए डॉक्टर ने दवाई लिख दी। और साथ में नींद की गोली लिख दी नींद ना आए तो यह भी गोली ले लेना। लेकिन आज आप आराम करना किसी बात के लिए आप परेशान हैं इसीलिए आपको बेचैनी हो रही है। नौकर ने खाना तैयार किया दवाइयां ले कर के आ चुका था। सेठ जी ने खाना खाया और दवाइयां ली और सोने के लिए बिस्तर पर चले गए लेकिन सेठ जी को नींद नहीं आ रही थी। बिस्तर से उठ कर उसने नींद की गोली ले ली तो भी नींद नहीं आ रही थी।
बहुत देर हो गई थी। घड़ी में देखा तो रात के 3:00 बज रहे थे। सन्नाटा था हर जगह शांति थी। उसे लगा कि इस बंद कमरे में उसे घुटन हो रही होगी। कमरे से बाहर निकले अपने आलीशान बंगले के बगीचे में जा करके टहलने लगे। लेकिन वहां भी उन्हें सुकून नहीं आ रहा था। उन्होंने सोचा कि थोड़ा बाहर टहल के आता हूं। वह बंगले से बाहर निकल गए। कॉलोनी में सड़क पर टहलते टहलते दूर चले गए। इतने ख्याल में खोए हुए थे फैमिली को लेकर बिजनेस को लेकर पता नहीं 50 बातें चल रहे थे। कि घर से कब दूर आ गए मालूम ही नहीं चला। सड़क के किनारे एक चबूतरा था वहां जा कर के बैठ गए। चंपल नीचे उतार दी आराम से बैठे गए।...............
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